उछल कर आसमानों को पकड़ लें।

कहो तो प्यार से तुमको जकड़ लें।।


मुहब्बत और बढ़ जाए अगरचे

हम आपस मे ज़रा सा फिर  झगड़ लें।। 


अभी मौसम सुहाना हो गया है 

चलो फिर साइकिल पर इक भ्रमण लें।।


चलो तुम भी तनिक तैयार हो लो

रुको हम भी ज़रा खैनी रगड़ लें।।


बला की खूबसूरत लग रही हो

कहो तो एक चुम्बन और जड़ लें।।


अभी रक्ताभ सूरत हो गयी है

छुपाओ ये ज़हां वाले न तड़ लें।।


चलो करते हैं कैंडल लाइट डिन्नर

किसी होटल में मनमाफिक हुँसड़ लें।।


चलो कुछ साल पीछे लौटते हैं

इधर कुछ लोग हैं उस ओर बढ़ लें।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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