दूर उफ़क पर कौन नज़ारों से मिलता है क्या मालुम।

चुपके चुपके चाँद सितारों से मिलता है क्या मालुम।।

वह भी अक्सर बहकी बहकी  बातें करने लगता है

शायद कुछ दिल के बीमारों से मिलता है क्या मालुम।।

इधर उधर की बातों में हम काहे को मशगूल रहे

बेमतलब में कौन हज़ारों से मिलता है क्या मालुम।।

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