शायद तुम मुस्काना चाहो।
खुशियों को अपनाना चाहो।।
मन मत मारो पा सकते हो
जो तुम दिल से पाना चाहो।।
गागर फूटी एक दुखद है
दूजी गागर ले सकते हो
दुख पर रक़्स करो फिर देखो
खुशियाँ मन भर ले सकते हो
नभ ने बाँह पसार लिए हैं
उड़ो अगर तुम आना चाहो ।।
रात्रि गहन थी तो क्या अब तो
सुखद लालिमा झांक रही है
क्यारी क्यारी किलकी कलियां
रश्मि रथों को ताक रही हैं
उठो रोशनी बन यादों के
तम को यदि बिसराना चाहो ।।
पतझर का संकेत यही है
ऋतु राजा को फिर आना है
आना जाना जाना आना
जीवन का ताना बाना है
जीवन है संगीत समझ लो
गाओ बस तुम गाना चाहो ।।
सुरेश साहनी
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