गोद तेरी घर आंगन कहाँ तलाशूँ मैं।

माँ फिर अपना बचपन कहाँ तलाशूँ मैं।।

जो अपनी माटी से बाँधे रखता है

वह भावों का बंधन कहाँ तलाशूँ मैं।।

तुमसे तन से ज्यादा मन का नाता है

अब ऐसा आकर्षण कहाँ तलाशूँ मैं।।

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