अब क्या अखबारी चरित्र है।
पूजित दरबारी चरित्र है।।
पत्रकार मत कहिये उनको
जिनका बाज़ारी चरित्र है।।
सच का गला घोंट देना ही
अब का सरकारी चरित्र है।।
मोटी चमड़ी सम्मानित है
यह भी व्यवहारी चरित्र है।।
कर्मठता अब निंदनीय है
चोरी मक्कारी चरित्र है।।
चकाचौंध विज्ञापन वाला
केवल व्यापारी चरित्र है।।
सुरेश साहनी,अदीब कानपुर
Comments
Post a Comment