और फिर तय हो गया मेरा यगाना सा सफ़र।
अनगिनत अनजान राहों पर ये जाना सा सफर।।
भीड़ रिश्तों की लिए
मैं उम्र भर तन्हा फिरा
जैसे इक बच्चे का हो मेले में खो जाना सफर।।
दूर तक मन्ज़िल का कोई
भी नहीं नामो निशान
दिल मे डर,उम्मीद का भी जैसे मर जाना सफ़र।।
और फिर तय हो गया मेरा यगाना सा सफ़र।
अनगिनत अनजान राहों पर ये जाना सा सफर।।
भीड़ रिश्तों की लिए
मैं उम्र भर तन्हा फिरा
जैसे इक बच्चे का हो मेले में खो जाना सफर।।
दूर तक मन्ज़िल का कोई
भी नहीं नामो निशान
दिल मे डर,उम्मीद का भी जैसे मर जाना सफ़र।।
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