राजनीति होखे दS भैया।

अइसे काम चले दS भैया।।

जिन रोवS जनता के ख़ातिर

ई कुलि होत रहे दS भैया।।

बच्चे मरिहैं फिनु होइ जइहैं

हमके राज करे दS भैया।।

महँगाई से का दिक्कत हौ

उतरे अउर चढ़े दS भैया।।

जनता बहुत मोटाय गईल बा

एकर रस निकरे दS भैया।।

सच बोलब ते बोट न देबS

हमके झूठ गढ़े दS भैया।।

सत्ता मद के जोड़ न होला

जेतना चढ़ै चढ़े दS भैया।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है