ज़ीस्त होती जो कीमती इतनी
इस तरह दर-ब-दर नहीं मिलती।।
पार जाने के रास्ते हैं बहुत
वापसी की डगर नहीं मिलती।।
कितनी बेजा हैं ख्वाहिशें अपनी
हर खुशी मोड़ पर नहीं मिलती।।
आज दिल फिर उदास हो बैठा
काश उनकी ख़बर नहीं मिलती।।
टूटती हैं अना में साहिल पर
इक से दूजी लहर नहीं मिलती।।
Comments
Post a Comment