नामचीं है तभी तो रुसवा है।

इश्क़ वालों में उसका जलवा है।।

इश्क़ के दम पे ताज़ है वरना

नफरतों का बदल तो मलवा है।।SS

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है