युद्ध नहीं उन्माद चाहिए।

बेशक़ व्यर्थ विवाद चाहिए।।

दंगे बिना चुनाव न होंगे

कुछ तो पानी-खाद चाहिए।।

चलो झोपडी जलवाते हैं

भव्य अगर प्रासाद चाहिए।।

आप को हमने ही लूटा था

वोटों आशीर्वाद चाहिए।।

हाय हाय करती जनता से

हमको जिंदाबाद चाहिए।।

जनता भूखी हैं होने दो

हमको भर भर नाद चाहिए।।

एफडीआई बड़ी चीज है

देश किसे आज़ाद चाहिए।।

सुरेश साहनी, कानपुर

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