धरने पर बैठे किसान हैं 

चोरों ने रखवाली ले ली।

पहले बोला भोजन देंगे

फिर आगे से थाली ले ली।।


जब आये थे वोट मांगने

तब मुझको भगवान कहा था

पूछा कौन देश का मालिक

तब मजदूर किसान कहा था


हाय किसे सर्वस्व सौंपकर

हमने झोली खाली ले ली।।


बोल रहें धरतीपुत्रों से

तुम धरती के मालिक कब थे

पूछ रहे हैं आज लुटेरे

हम किसान या सैनिक कब थे


आतंकी अपराधी बर्बर

हमने क्या क्या गाली ले ली।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है