आप इतने करीब  क्यों आये।

बनके मेरा नसीब क्यों आये।

दिल हकीकत पसंद हैं यारब

ख़्वाब इतने अजीब क्यों आये।।

आप तो प्यार करने वाले थे

लेके दार ओ सलीब क्यों आये।।

कब्र को आग कौन देता है

साथ कोई रक़ीब क्यों आये।।

गुल से ज़्यादा जहाँ शिकारी हों

फिर वहाँ अंदलीब क्यों आये।।


सुरेश साहनी

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