तन नदी को पार करना चाहता है।

मन नदी से प्यार करना चाहता है।।


तुन्द लहरें तेज धाराये भंवर भी

लक्ष्य सबसे रार करना चाहता है।।


पड़ गया करना स्वयं को सिद्ध वरना 

कब समय स्वीकार करना चाहता है।।


चाहता है प्रतिप्रणय हो रुष्ट पुनि पुनि

मुग्ध मन मनुहार करना चाहता है।।


चांदनी सी रात को कर दो रूपहरी

चाँद मन अभिसार करना चाहता है।।


जानता है मन प्रणय शोकज है लेकिन

प्रीति बारंबार करना चाहता है।।


तुम भी उच्छ्रंखल बनो प्रिय साहनी भी

वर्जनायें पार करना चाहता है।।


सुरेश साहनी , कानपुर

9451545132

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