पहले उसने ख़्वाब कुंवारे मांग लिये।

फिर मेरे सुख चैन हुलारे माँग लिए।।


मैं मीठे पानी के चश्मे लाया था

उसने मुझसे सागर खारे मांग लिये।।


प्यार मुहब्बत रोटी कपड़ा वाजिब है

हद है उस ने चाँद सितारे माँग लिये।। 


समझ न पाया उस की शातिर चालों को

क्यों उसने मुझसे खत सारे मांग लिये।।


जिसकी दुनिया मुझसे रोशन रहती थी

उसने मेरे भी उजियारे माँग लिये।।


सुरेश साहनी कानपुर

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