हालते-जिस्म नमूदार हुयी जाती है।

ज़िन्दगी मौत की हकदार हुयी जाती है।।

आरजूएँ भी उम्मीदे भी तमन्नायें भी 

उम्र के हाथ गिरफ्तार हुयी जाती है।।

खैरख्वाही भी करी और मसीहाई भी

 फिर भी ये इश्क़ की बीमार हुयी जाती है।।

इश्क़ के साथ जुनूँ बढ़ता चला जाता है

मैं नहीं दुनिया शर्मसार हुयी जाती है ।।

उम्र भर मुझसे जफ़ा और जफ़ा और जफ़ा

आज क्यों ज़ीस्त वफ़ादार हुयी जाती है।।

सुरेशसाहनी,कानपुर


हालते-ज़िस्म--शरीर की स्थिति

नमूदार -- प्रकट होना ,सार्वजनिक होना

आरजूएँ-- इच्छा

तमन्ना --आकांक्षा 

खैरख्वाह--हितैषी

मसीहाई -- करामाती इलाज़

जुनूँ -- इच्छाशक्ति 

जफ़ा--धोखा

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