वहीं बातें वही किस्से पुराने।

हैं उनको याद करने के बहाने।।


हमें दुनिया की परवा भी नहीं है

सिवा उनके कोई जाने न जाने।।


हरीफ़े- जां के साथ आने से बेहतर

न आते तुम हमारे आस्ताने।।


नहीं हैं हम तो क्या रहते ज़हां में

चलेंगे हश्र तक अपने फ़साने।।


कि नगमागर किसी से कम न थे हम

कहाँ जाते मगर किसको सुनाने।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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