दूध दही की नदी बह रही भैया जी।

जनता सुख से आज रह रही भैया जी।।


आप हमारे देश के मुखिया बन जाओ

सब देशन की प्रजा कह रही भैया जी।।


आप की इज्जत महिलाएं भी करती है

बीबी तक चुपचाप सह रही भैया जी।।


दाम बढ़ाओ खूब हमें का दिक्कत है

अर्थव्यवस्था लाख ढह रही भैया जी।।


जनता तो यूँ ही चिल्लाया करती है

सुख से है फिर भी उलह रही भैया जी।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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