ठीक है चाँद का ज़लाल रहे।
आगे सूरज भी है ख़याल रहे।।
जा तेरी आरज़ू नहीं करता
अब न तुझको कोई मलाल रहे।।
हुस्न के तज़किरे रहें बेशक़
इश्क़ का ज़िक्र भी बहाल रहे।।
दुश्मनी की भी उम्र इक तय हो
दोस्ती कब तलक सवाल रहे।।
कुछ तो वो जिम्मेदारियां समझें
कुछ तो उनके भी सर बवाल रहे।।
बोझ मिलकर उठे तो बेहतर है
एक क्यों उम्र भर हमाल रहे।।
हुस्न बीमार कब हुआ यारब
इश्क़ क्यों जाके अस्पताल रहे।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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