बैंक महाजन हो गए,गिरवी हुआ समाज।

ग्राहक अपने मूल पर चुका रहे हैं ब्याज।।SS

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है