हुस्न ज़्यादा अमीर है शायद।

इश्क़ अपना फक़ीर है शायद।।

आज के इश्क़ का ख़ुदा जाने

अब भी रांझा की हीर है शायद।।

उसको तगड़ी सज़ा मुकर्रर है

आदतन वो बशीर है शायद।।

रोज आता है सह के मक़तल में

वो यहीं का ख़मीर है शायद।।

आशिक़ी में वो जां लुटा देगा

कोई ज़िद है कि पीर है शायद।।दीन पर ऐतबार करता है

आदमी बेनजीर है शायद।।SS

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