बस एक्के दिन उहाँ के साथ रहनी।
लगत बा जाने केतना रात रहनी।।
उ एक्के रात रहुवन साथ जागल
कई दिन ले मगर जमुहात रहनी।।
भटकलीं एह तरह से का बताईं
कहाँ बानीं कहाँ हम जात रहनी।।
लजाइल भूलि गइनीं का बताईं
कहाँ ऊ दिन रहे सकुचात रहनी।।
ए माई ऊहे मनभावन भईल बा
कहाँ ओही से हम अझुरात रहनी।।
सुरेश साहनी
Comments
Post a Comment