मुझे बेशक़ तवज्जो दो न दो तुम।
तुम्हे किसने कहा मेरे रहो तुम।।
मेरी तन्हाईयों हैं मेरी दौलत
ख़ुदारा मत इसे साझा करो तुम।।
मेरे ग़म हैं मेरी खुशियों के बाइस
मेरे ग़मख़्वार भी क्यों कर बनो तुम।।
तुम्हें मेरी रहन पे उज़्र क्या है
मेरे हालात पे मत भर उठो तुम।।
अना वाले हो इतना याद रक्खो
मेरे ही वास्ते क्यों कर झुको तुम।।
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