आज उसे यारी पर शक है।

या दुनियादारी पर शक है ।।

क्या उसको शक़ है नीयत पर

या ज़िम्मेदारी पर शक है।।

नामुमकिन है कि वह टूटे  

लेकिन बीमारी पर शक है।।

मालिक छुट्टी कैसे देगा

उसको लाचारी पर शक है।।

क्या बाबा व्यभिचार करेंगे

हाकिम को क्वांरी पर शक है।।

पर नारी से प्यार करे है

लेकिन निज नारी पर शक है।।

जिसकी बातों में जुमले हैं

उसकी ख़ुद्दारी पर शक है।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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