दूर तक तीरगी के आलम में

चंद उम्मीद के दिये लेकर

रोशनी ढूंढने को निकले हैं

कुछ रदीफ़ और काफिये लेकर

हम तो गाते हैं मर्सिया अपना

ग़म सजाता है काफिला अपना

हसरतें तोड़ती हैं दम पर हम

जश्न करते हैं ताजिये लेकर....

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