एक बार तौबा किया फिर जन्नत की मौज।

इसी सोच से बढ़ गयी, इब्लीसों की फौज।।साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है