माँ भारती माँ भारती
हे शारदे माँ सरस्वती।
उपकार कर उपकार कर
स्वीकार अपनी आरती ।।माँ भारती
ममतामयी करुणामयी
ज्ञानाश्रयी ज्योतिर्मयी
अज्ञान हरने के लिए
माँ तू अहर्निश जागती।।
शुभ शूभ्र वल्कल धारिणी
कर पदम् वीणा धारिणी
माँ हाथ में पुस्तक लिए
है ज्ञान सब पर वारती।।
सुख शांति देती प्रीत भी
नव गीत भी संगीत भी
अब क्या कहें कब कब नहीं
है माँ हमें उपकारती।। माँ भारती
माँ ज्ञान दे विज्ञान दे
मम कण्ठ स्वर संधान दे
अज्ञान मम पीड़ा विषम
त्रय ताप तम संहारती।। माँ भारती
रचना - सुरेश साहनी
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