सितारे लेने गया था मगर नहीं लौटा।

नया नहीं है जो जाके उधर नहीं लौटा।।


वफ़ा की राह में इक बार बढ़ गया जो भी

वो लौट आया तो उसका जिगर नहीं लौटा।।


वो मरहले वो मुक़ामात और और ये हासिल

करूँगा क्या  जो मेरा हमसफ़र नहीं लौटा।।


किसी के ऐसे दिलासे ने और तोड़ दिया

कि उधर गया है जो कोई बशर नहीं लौटा।


जईफ वालिदैन अब भी राह तकते हैं

मगर वो बेटा विलायत से घर नहीं लौटा।।


ये बेख़ुदी का ठिकाना है जन्नतुल फिरदौस

जिसे मिला वो कभी दैरोदर नहीं लौटा।। 


अदीब कब तुझे समझेंगे ये खुदा वाले

ख़ुदा इसीलिए ज़मीन पर नहीं लौटा।।


सुरेश साहनी,अदीब 

कानपुर

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