शहर में शादियाने चल रहे हैं।

हमी तनहा सड़क पर मिल रहे हैं।।

तुम्हारे मुन्तज़िर क्यों ना रहें हम

अभी आंखों में सपने पल रहे हैं।।

तेरी यादें हैं जैसे सर्द झोंके

भले हम दहरे-ग़म में जल रहे हैं


सुरेश साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है