इक ज़रा ख़ुद पे प्यार आने दे।

हम  खिलेंगे बहार आने  दे।।


मुख़्तसर वस्ल क्या क़यामत है

कुछ तो दिल को क़रार आने दे।।


इक तेरा साथ है बहुत यारब

आफ़तें फिर हज़ार आने दे।।


आएगा तुझको कैफ आएगा

अपने  अबरू में धार आने दे।।


इश्क़ चाहे है हुस्न की दौलत

किसने मांगा है चार आने दे।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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