हर फ़न में माहिर हो जाना चाहेंगे।

बेशक़ हम नादिर हो जाना चाहेंगे।।

कितना मुश्किल है जीना सीधाई से

कुछ हम भी शातिर हो जाना चाहेंगे।।

दरवेशों की अज़मत हमने देखी है

तो क्या हम फ़ाकिर हो जाना चाहेंगे।।

ख़ुद्दारी गिरवी रख दें मंजूर नहीं

बेहतर हम मुनकिर हो जाना चाहेंगे।।

वो हमको जैसा भी पाना चाहेगा

वो उसकी ख़ातिर हो जाना चाहेंगे।।

यार ने जब मयखाना हममें देखा है

क्यों मस्जिद मन्दिर हो जाना चाहेगे।।

इश्क़ हमारा तुमने शक़ से देखा तो

टूट के हम काफ़िर हो जाना चाहेंगे।। साहनी


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