कुछ लोग जम्हूरियत की मज़म्मत करते हैं,नकारते हैं।ऐसे लोगों की कमअक्ली पर हमें तरस आता है।यह हिंदुस्तान की ज़म्हूरियत की देन है कि आप अम्बेडकर नेहरू और दीनदयाल की आलोचना कर लेते हैं।सरकार के खिलाफ बोल लेते हैं।मनमोहन और मोदी के खिलाफ जुलुस निकाल लेते हैं।सोनिया और अमित शाह के पुतले फूंक लेते हैं।यह हिंदुस्तान की ज़म्हूरियत है,जिसमें आप को अपने मज़हब को मानने की आज़ादी हैं।कुछ छोटी बड़ी बातें और नामाकूल वारदातें हो जाने का मतलब यह नहीं कि हम ज़म्हूरियत पर ऊँगली उठाने लगें।काश्मीर की आज़ादी के मायने सिर्फ हिंदुस्तान की बुराई आप हिन्दुस्तान में कर पातें हैं,क्योंकि यहां ज़म्हूरियत है।ऐसे मुल्क जहाँ ज़म्हूरियत नही है वहां फ़क़त इतनी आज़ादी है कि किसी पर कोई इलज़ाम लगाकर उसे आसानी से क़ैद किया जा सकता है ,कत्ल किया जा सकता है,फाँसी दी जा सकती है। 

इसलिए मुख़ालफ़त करिये,गुस्सा ज़ाहिर कीजिये।मनमुताबिक इंतिख़ाब करिये।हक़ मांगिये।हक़ दीजिये।सरकार बनाइये ।सरकार बदलिये।सरकारें आती और जाती रहेंगी।ज़म्हूरियत रहनी चाहिए।ज़म्हूरियत रहेगी।

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