रुक्नो- बहर के रगड़े देखें या लिक्खें।

लिक्खाड़ों के लफड़े देखें या लिक्खें।।


आलिम कोई है तो कोई कामिल है

हम शोअरा के झगड़े देखें या लिक्खें।।


अशआरों में बात मुकम्मल ना कहकर

वज़नी देखें तगड़े देखें या लिक्खें।।


फ़ितरत से दरवेश अदा शाहाना भी

उस शायर के कपड़े देखें या लिक्खें।।


उस्तादों में रक़बत कितनी ज़्यादा है

उस्तादों के पचड़े देखें या लिक्खें।।


सुरेश साहनी , कानपुर

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