यूँ कब तलक सताएगी ये ज़िन्दगी हमें।

या राह कुछ बताएगी ये ज़िन्दगी हमें।।

बेघर थे आज बे दरो-दीवार भी हुए

क्या राह पर सुलाएगी ये ज़िन्दगी हमें।।

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