आपकी बदमाशियों पे फ़ख्र है।।

आपकी लफ़्फ़ाज़ियाँ भी खूब हैं

आपकी बूबासियों पे फ़ख्र है।।

काश मिल जाती फ़क़ीरी आपकी

आप से सन्यासियो पे फ़ख्र है।।

बस गये वो  जाके  इंग्लिस्तान में

 कह रहे ब्रजबसियो पे  फ़ख्र है।।

आप के दोहरे चरित पर नाज है

आप से बकवासियों पर फ़ख्र है।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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