मत सोचो नदिया बन सागर में खो जाऊंगा।
जो भी प्यार करेगा मैं उसका हो जाऊंगा।।
बाद मेरे जीवन के पथ पर फूल न पाओगे
स्मृतियों के शूल निगाहों में बो जाऊंगा।।
तुम क्या कभी किसी से कोई चाह नहीं रखता
अपनी अर्थी तक अपने कांधे ढो जाऊंगा।।
जो भी याद करे ख़्वाबों में आऊंगा उसके
चुपके चुपके आकर अंतर्मन टो जाऊंगा।।
आज तुम्हारे आँगन में हूँ प्रेम गीत गा लो
कल गाना क्या रो न सकोगे यदि रो जाऊंगा।।
रात मुकम्मल करने को ही जाग रहा हूँ मैं
इसकी सुबह नहीं होगी यदि मैं सो जाऊंगा।।
दो दिन के जीवन मे आओ दो युग जी जाएं
किसे पता कल किधर कौन नगरी को जाऊंगा।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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