मंत्र बहुत मेरे मन भाया बुद्ध शरणम गच्छामि

बार बार मैने दोहराया बुद्धम शरणम गच्छामि

मन बोला जब संकट आया बुद्धम शरणम गच्छामि

कड़ी धूप में जैसे छाया बुद्धम शरणम गच्छामि


हर हिंसा से बचना है तो

चौर्य वृत्ति छल तजना है

काम क्रोध से 

झूठ कपट कम करना है तो चलो

नशा व्यसन ने दुख उपजाया बुद्धम शरणं गच्छामि।।

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