ख़्वाब पलकों पे सजाये मिलना।

दिल में उम्मीद जगाये मिलना।।


हसरतें रखना दबाकर लेकिन

हौसले खूब बढ़ाये मिलना।।


उठ गईं फिर तो क़यामत होगी

अपनी पलकों को झुकाये मिलना।।


हर्ज़ है आज अगर मिलने में

आपके दिल मे जब आये मिलना।।


वस्ल वाजिब है ज़रूरी तो नहीं

देखना जान न जाये मिलना।।


क्या ज़रूरी है क़यामत में मिलो

जब कभी याद सताए मिलना।।


मेरे महबूब हो ये याद रहे

भूल से भी न पराये मिलना।।


सुरेश साहनी, कानपुर 

9451545132

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