हम सरमायेदारों को कितना रिस्क उठाना पड़ता है।

इस दर्द को सत्तर सालों में पहले नेता ने समझा है।।

तुम सब को केवल एक फ़िकर वेतन बोनस या पेंशन है

पर हम को तो दुनिया भर के रगड़े झगड़े औ टेंशन है

इन सब में कुछ को सुलटाना कुछ को निपटाना पड़ता है।।

तुमको मालुम है भारत की जनता भारत की आफत है

दस बीस करोड़ गरीब अगर ना हो तो भी क्या दिक्कत है

जाने कितना सरकारों को इन सब पे लुटाना पड़ता है।।

फिर तुम सबको हर हालत में जीने की गंदी आदत है

शहरों से लेकर गांवों तक हर जगह तुम्हारी ताकत है

तुम सब के कारण ही हमको चंदा पहुँचाना पड़ता है।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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