जो भी है सरकार के हक़ में।
क्यों जाएं हक़दार के हक़ में।।
सत्ता का अपराधी है वो
जो बोला अधिकार के हक़ में।।
वो है उसका जात बिरादर
क्यों बोले अगियार के हक़ में।।
मां को चिंता है आँगन की
बेटे हैं दीवार के हक़ में।।
वही करेंगी सरकारें अब
जो होगा बाज़ार के हक़ में।।
अखबारों को भी मालूम है
क्या है अब अख़बार के हक़ में।।
दुनिया भर के व्यापारी हैं
झूठों के सरदार के हक़ में।।
अत्याचार सहेगी जनता
जब तक है अवतार के हक़ में।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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