मैं क्या लिखता तुम क्या पढ़ते

मैं क्या कहता जो तुम सुनते

प्रेम कहाँ कागज पर उतरा

मौन कहाँ कानों में गूंजा

तुम भी कब इस दिल मे उतरे

थाह प्रेम की कैसे लेते 

मैं क्या लिखता.....

देह प्रेम का प्रथम चरण है

देह मृत्यु का सहज वरण है

देह न हो पर प्रेम रहेगा

काश तुम्हे यह समझा सकते

मैं क्या  लिखता.........

सुरेशसाहनी, कानपुर

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