करके घात नहीं आये हो।।
फिर क्यों साथ नहीं आये हो।
आख़िर किसके साथ कटी है
पूरी रात नहीं आये हो।।
सूख रहीं हैं भीगी पलकें
कब से याद नहीं आये हो।।
खुद में भी तुम को ही देखूं
इतने पास नहीं आये हो।।
आँखे तो बरसी हैं हाँ तुम
इस बरसात नहीं आये हो।।
इश्क़ तकल्लुफ़ कब चाहे हैं
मुद्दत बाद नहीं आये हो।।
*सुरेशसाहनी* कानपुर
Comments
Post a Comment