आते आते ही मुहब्बत आएगी।

फिर वफ़ा आएगी उल्फ़त आएगी।।


हर्फ़ आएंगे इबारत आएगी।

तब ज़ेहन में एक आयत आएगी।।


कौम में जब भी सियासत आएगी।

तब ज़ेहन में आप नफ़रत आएगी।।


मजलिसों में जब जमाअत आएगी।

राह पर कैसे न् उम्मत आएगी।।

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