उसने देखा है मेरा मोम सा पैकर यारों

वो समझता है मुझे आज भी पत्थर यारों।।

जिसकी आंखों में भड़कते थे वफ़ा के शोले

उसने मारा है मेरी पीठ पे खंज़र यारों।।

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