आओ लेकर चाँद सितारे चलते हैं।
पार नदी के साथ तुम्हारे चलते हैं।।
कल की फिक्रें उलझन दुनियादारी सब
छोड़ चलें जैसे बंजारे चलते हैं।।
दुनियावी बातों की बहती धारा से
तुम कह दो तो दूर किनारे चलते हैं।।
जीत के दिल की दौलत क्या पा जाओगे
उल्फ़त में दिल हारे हारे चलते हैं।।
तुम्हीं कमल हो मन के मानसरोवर के
हम तन मन धन तुम पर वारे चलते हैं।।
अन्तर्मन में एक तुम्हारी छवि है प्रिय
नयन मूंद बस तुम्हे निहारे चलते हैं।।
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