तेरे एहसान हम पर  कम नहीं है।

तेरा ग़म है तो कोई ग़म नहीं है।।


हमारे खैरख्वाह हो तुम ये माना

मगर दामन तुम्हारा नम नहीं है।।


करे थे   किसलिए  दावे हवाई

जो तेरी कोशिशों में दम नहीं है ।।


जिन्हें तुम  देख शायर हो रहे हो

मेरे आंसू हैं ये शबनम नहीं है।।


कहा अच्छे दिनों के चारागर ने

गरीबी का कोई मरहम नहीं है।।

Suresh Sahani

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