मैं एक आदमी हूँ कितने ग्रुपों में जाऊँ
किस किस के पेज देखूँ क्या ख़ुद को भूल जाऊँ।।
एक एक घण्टे वाले चालीस वीडियो हैं।
ग्रुप चैट के हज़ारों मैसेज हैं आडियो हैं।।
जो मुझको चाहते हैं सौ से अधिक नहीं हैं।
क्या मेरी ज़िम्मेदारी कुछ उनके प्रति नहीं हैं।।
टैगासुरों के हमले बढ़ते ही जा रहे हैं।
कर दूँ अमित्र सिर पर चढ़ते ही जा रहे हैं।।
कुछ वक्त अपनी ख़ातिर मैं भी निकाल पाऊं।
उतना ही मुझ पे लादो जितना सम्हाल पाऊं।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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