सबको बेहतर से भी बेहतर चाहिए।

किसको हम जैसा सुखनवर चाहिए।।


चाहते हैं कुछ मदारी कहन के 

कुछ को लफ़्ज़ों के कलंदर चाहिए।।


चाहते हो ख़ुद में ग़ालिब मीर तो

लेखनी मँजनी निरन्तर चाहिए।।

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