इतनी शिद्दत से भुलाया करिये।

फिर कभी याद न आया करिये।।

हम तेरे गैर भी ना रह पाए

कम से कम इतना पराया करिये।।

आपके ज़ुल्म मेरे हासिल हैं

ये कहीं और न ज़ाया करिये।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है