उनको खुद्दारियां पसंद नहीं।

मुझको मक्कारियां पसंद नहीं।।

क्या ज़रूरी है राब्ते उनसे

जब उन्हें यारियां पसंद नहीं।।

सिर्फ सिजदे हैं दीन की चाहत

उसको सरदारियां पसंद नहीं।।

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