परिंदे ठीक से तो सो रहे हैं।
शज़र किस बात पर फिर रो रहे हैं।।
उधर कुछ बेटियां सहमी हुई हैं
उधर मंत्री जी क्यों खुश हो रहे हैं।।
जो हम पर कर्ज बढ़ता जा रहा है
तो धन पशुओं को हम क्यों ढो रहे हैं।।
उधर देखो सचिन भगवान है ना
खिलाड़ी क्यों सड़क पर सो रहे हैं।।
वो अपराधी हमारी जाति का है
हम अपनी सोच में क्या बो रहे हैं।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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